बच्चा था ।
मन था कच्चा ।
चिंता दूर,
प्यार दुलार भरपूर ।
ऐसा लगा था ।
वह दिन बहुत अच्छा था ।
चलते चलते,
बचपना बीता ।
लडकपन आया।
सोचा,
बीता मेरा अच्छा दिन।
खेलकूद की थी दुनिया,
लाई थी भरपूर खुशियां,
फिर लगने लगा,
लौट आये मेरे अच्छे दिन ।
चलते चलते,
कुंवर होगया ।
बेचैनी शुरू होगया ।
सोचा,
बीते मेरे अच्छे दिन।
सपनों की थी दुनिया,
ऊंचे ऊचे सपने,
उम्मीद भरी अपने।
ऐसा मुझे लगने लगा,
अच्छे दिन फिर आने लगे ।
चलते चलते,
युवक बना।
जिम्मेदारी भारी बना।
सोचा,
मेरे बीते अच्छे दिन।
दुनिया की सुंदरता,
कर्म कांड की सफलता।
भर ली मेरी प्याली।
खुशियों की हरियाली।
अच्छे दिन की खुशहाली।
चलते चलते,
बूढापन की दहलीज में घडा हुं।
आयू की लकीर,
करने लगी दिल को चीर।
चिंता में हुं,
बीत गई वह अच्छे दिन ।
आशा है यहां भी,
कुछ तो होगा ऐसा चीज।
जो वापस लाएगा,
मेरे अच्छे दिन ।
मन था कच्चा ।
चिंता दूर,
प्यार दुलार भरपूर ।
ऐसा लगा था ।
वह दिन बहुत अच्छा था ।
चलते चलते,
बचपना बीता ।
लडकपन आया।
सोचा,
बीता मेरा अच्छा दिन।
खेलकूद की थी दुनिया,
लाई थी भरपूर खुशियां,
फिर लगने लगा,
लौट आये मेरे अच्छे दिन ।
चलते चलते,
कुंवर होगया ।
बेचैनी शुरू होगया ।
सोचा,
बीते मेरे अच्छे दिन।
सपनों की थी दुनिया,
ऊंचे ऊचे सपने,
उम्मीद भरी अपने।
ऐसा मुझे लगने लगा,
अच्छे दिन फिर आने लगे ।
चलते चलते,
युवक बना।
जिम्मेदारी भारी बना।
सोचा,
मेरे बीते अच्छे दिन।
दुनिया की सुंदरता,
कर्म कांड की सफलता।
भर ली मेरी प्याली।
खुशियों की हरियाली।
अच्छे दिन की खुशहाली।
चलते चलते,
बूढापन की दहलीज में घडा हुं।
आयू की लकीर,
करने लगी दिल को चीर।
चिंता में हुं,
बीत गई वह अच्छे दिन ।
आशा है यहां भी,
कुछ तो होगा ऐसा चीज।
जो वापस लाएगा,
मेरे अच्छे दिन ।
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